दो माह की बच्ची ने बता दिया जिंदगी क्या है...

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दो माह की बच्ची ने मुझे बता दिया कि असली जिंदगी क्या है। जिंदगी का मकसद क्या है और इसको किस तरह जीना है। आप कहेंगे कि पागलों जैसी बात मत करो, जो मन आया वह लिख दिया। क्या यही सब पढ़ाओगे हमें। आप बिल्कुल सही हैं, शायद मैं गलत साबित हो जाऊं। पर मैंने जो महसूस किया, वह लिख रहा हूं। आगे आपकी मर्जी।

उससे मेरी मुलाकात अचानक हुई, जब मैं कहीं जा रहा था। मैंने उसको दादी की गोद में देखा और यूं ही उसकी ओर चुटकी बजा दी। वह मुस्करा गई, मानो मुझसे पहले भी मिली हो। उसकी इस मुस्कराहट में न तो कोई छल था और न ही किसी तरह की खुशी या फिर कोई दर्द। इस मुस्कराहट में उसका कोई मकसद नहीं था और न ही उसके पीछे कोई लालच। वह न तो किसी को नीचा गिरते देखकर मुस्करा रही थी और न ही किसी की तरक्की पर खुशी जता रही थी। उसकी मुस्कराहट निर्दोष थी, ठीक उस झरने की तरह जो ऊंचाई से नीचे गिरने का साहस केवल परोपकार के लिए करता है। शांति, सुकून और इंसानियत में वह कहीं ज्यादा ऊंचाई पर आसमां छू रही है और मैं उतना नीचे धरती पर बेचैन। वह मुझे भागदौड़ और स्पर्धा के युग में शांत पलों की ताकत का ज्ञान करा रही थी।

अभी तो वह स्नेह और लाड़ दिखाने वाली भाषा समझ रही है। वह इंसानों में रहने के नियमों को नहीं जानती। छल, कपट से बचने के तरीकों का उसको कोई ज्ञान नहीं है। केवल मुस्कराना जानती है, जो जीने के लिए जरूरी है। शायद नेचुरल मुस्कराहट का कॉपी राइट उस जैसे बच्चों के पास ही है, बाकि तो सब अलग-अलग मकसद के लिए इनकी नकल कर रहे हैं।

वाकई, मुझे उस प्यारी सी बच्ची को देखकर काफी सुकून मिला और मैं एकटक उसको देखता रहा। सोचता रहा कि इसकी मुस्कराहट में ऐसा क्या है, जो औरों में नहीं। वह बार-बार मुस्करा रही थी। शायद मुझसे कह रही थी कि अगर मेरी तरह जीना चाहते हो तो खुशियों के पीछे दौड़ना बंद कर दो। मुझे देखो, क्या आपको लगता है कि मैं किसी जल्दबाजी में बेचैन जिंदगी जी रही हूं। यह सब इसलिए है कि मैं खुद में जी रही हूं और बाहरी दुनिया, जो हमारे लिए आकर्षण है, उसको मैंने नहीं देखा है।

मैं इस मायावी दुनिया में आ गई हूं, लेकिन अभी अपनी मां की गोद में हूं, जो किसी भी बच्चे के लिए सबसे सुरक्षित जगह है। मैं तुमसे ज्यादा ताकतवर हूं, क्योंकि मेरा कोई मकसद नहीं है। मैं किसी स्पर्धा का हिस्सा नहीं हूं। मैं बेचैन नहीं हूं। मैं न तो छल करती हूं और न ही छल से बचने के लिए संघर्ष। मैं किसी को हराने की साजिश नहीं रच रही और न ही किसी से जीतने की रणनीति बना रही । मुझे न तो कल की चिंता है और न ही आज और अभी की। मैं किसी भी बंधन से मुक्त हूं। अभी मैं न तो धर्म को जानती हूं और न ही किसी क्षेत्र और भाषा बोली को। क्या अब भी तुम जानना चाहते हो कि मेरी मुस्कराहट इतनी निर्दोष कैसे है....।













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